अब्राहम लिंकन ने बहुत गरीब परिवार में जन्म लिया था। अत्यंत निर्धनता की स्थिति में भी उन्होंने किसी तरह मेहनत-मजदूरी करते हुए अपनी पढ़
ाई पूरी की और अमेरिका के राष्ट्रपति बने। वह अपने देश की जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे। लोग उनका काफी सम्मान करते थे। इतने ऊंचे पद पर पहुंच कर भी उनमें काफी विनम्रता थी, लेकिन उनके चेहरे पर अकसर उदासी छायी रहती थी। उत्सुकतावश एक महिला ने साहस करके उनसे इसका कारण पूछ ही लिया।
लिंकन थोड़ी देर चुप रहे, फिर गहरी सांस लेकर बोले, 'कितना अच्छा होता कि आप मुझसे यह प्रश्न न पूछतीं। जब मैं छोटा ही था तो मैं अपनी मां के स्नेह से वंचित हो गया। मेरी मां बहुत धर्मपरायण और संस्कारी थीं। यह मेरी मां की सीख थी कि पहले दूसरों के बारे में विचार करो और बाद में अपने बारे में सोचो। मैं यही करता हूं। आज मुझ में जो कुछ अच्छाई नजर आ रही है उसका श्रेय केवल मेरी मां को जाता है। इतनी अच्छी मां को बचपन में खोकर आज तक उसे भुला नहीं पाया हूं और इसी कारण दुखी रहता हूं। लगता है मेरा यह दुख जीवन के समाप्त होने के साथ ही जाएगा। आप नहीं जानतीं कि अमेरिका का सब से अधिक सुखी समझा जाने वाला आदमी अंदर से कितना दुखी है।' लिंकन यह कहते-कहते बहुत भावुक हो गए और कुछ अधिक न बोल सके। लिंकन की बात सुन कर वह महिला शांत हो गई और मन ही मन उनकी मां की प्रशंसा करती चली गई।
ाई पूरी की और अमेरिका के राष्ट्रपति बने। वह अपने देश की जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे। लोग उनका काफी सम्मान करते थे। इतने ऊंचे पद पर पहुंच कर भी उनमें काफी विनम्रता थी, लेकिन उनके चेहरे पर अकसर उदासी छायी रहती थी। उत्सुकतावश एक महिला ने साहस करके उनसे इसका कारण पूछ ही लिया।
लिंकन थोड़ी देर चुप रहे, फिर गहरी सांस लेकर बोले, 'कितना अच्छा होता कि आप मुझसे यह प्रश्न न पूछतीं। जब मैं छोटा ही था तो मैं अपनी मां के स्नेह से वंचित हो गया। मेरी मां बहुत धर्मपरायण और संस्कारी थीं। यह मेरी मां की सीख थी कि पहले दूसरों के बारे में विचार करो और बाद में अपने बारे में सोचो। मैं यही करता हूं। आज मुझ में जो कुछ अच्छाई नजर आ रही है उसका श्रेय केवल मेरी मां को जाता है। इतनी अच्छी मां को बचपन में खोकर आज तक उसे भुला नहीं पाया हूं और इसी कारण दुखी रहता हूं। लगता है मेरा यह दुख जीवन के समाप्त होने के साथ ही जाएगा। आप नहीं जानतीं कि अमेरिका का सब से अधिक सुखी समझा जाने वाला आदमी अंदर से कितना दुखी है।' लिंकन यह कहते-कहते बहुत भावुक हो गए और कुछ अधिक न बोल सके। लिंकन की बात सुन कर वह महिला शांत हो गई और मन ही मन उनकी मां की प्रशंसा करती चली गई।